Que. Examine the hindrances in upliftment of tribal population in India. Describe steps taken by government to address tribal issues.
(GS2, 15 marks, 250 words)
प्रश्न. भारत में जनजातीय आबादी के उत्थान में आने वाली बाधाओं का परीक्षण करें। आदिवासी मुद्दों के समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का वर्णन करें।
(जीएस2, 15 अंक, 250 शब्द)
Model Answer:
According to Census 2011, tribal people constitute 8.6% of India's population, but account for 46% of its total poverty. Tribal population is spread across length and breadth of the country which have the essential characteristics such as:
Hinderances in upliftment of tribals:
Loss of Control over Natural Resources: As India industrialized and natural resources were discovered in tribal inhabited areas, tribal rights were undermined and state control replaced tribal control over natural resources.
Lack of Education: In tribal areas, most schools lack basic infrastructure, including minimal learning materials and even minimal sanitary provisions.
Most tribal education programs are designed in official/regional languages, which are alien to tribal students.
Displacement and Rehabilitation: Acquisition of tribal land by the government for the development process of core sectors like huge steel plants, power projects and large dams led to large scale displacement of the tribal population.
The tribal pockets of Chotanagpur region, Orissa, West Bengal and Madhya Pradesh suffered the most.
The migration of these tribals to the urban areas causes psychological problems for them as they are not able to adjust well to the urban lifestyle and values.
Problems of Health and Nutrition: Due to economic backwardness and insecure livelihood, the tribals face health problems, such as the prevalence of disease, like malaria, cholera, diarrhea and jaundice.
Problems associated with malnutrition like iron deficiency and anemia, high infant mortality rates, etc. also prevail.
As per Lancet 2016, life expectancy at birth for ST population is 63.9 years whereas for general population is 67 years.
Gender Issues: The degradation of the natural environment, particularly through the destruction of forests and a rapidly shrinking resource base, has its impact on the status of women.
Erosion of Identity: Traditional institutions and laws of tribals are coming into conflict with modern institutions which create apprehensions among the tribals about preserving their identity.
Extinction of tribal dialects and languages is another cause of concern as it indicates an erosion of tribal identity.
Destruction of cultural heritage: Development projects and undue outside interference can also lead to the destruction of the cultural heritage of tribal communities
Steps to address tribal issues:
Development of Particularly Vulnerable Tribal Groups (PVTGs)
Under this Scheme provides Construction of traditional houses, milch animals, Fishing nets, Two-wheelers, Drinking water facilities to tribes living below the poverty line.
Special Central Assistance to Tribal Sub Plan
Under this scheme provides Dairy Cows to the tribal groups living below the poverty line.
Schools and Hostels
Government Tribal Residential Schools are given for tribal students.
Eklavya model schools for tribal students will help increase quality of human resource among tribals.
Forest Rights Act (FRA), Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act (PESA), have aimed to promote the socio-economic development of tribal communities and protect their rights.
The FRA and PESA provide legal recognition and secure the land rights of tribal people.
The PESA Act empowers tribal communities to govern their own affairs and strengthen local self-governance.
Constitutional Provisions – Cover Schedule V and VI, Articles under Fundamental rights, Articles 46 DPSP, 244(1) and (2), Articles 330 and 332, Article 338-A NCST(National Commission for ST).
TRIFED led e-marketplace for tribals which will provide better price for tribal produce and help in economic empowerment.
Way Forward:
International Covenants UN Declaration on the Rights of Indigenous Peoples should guide the spirit of policies made for tribals.
Idea of ‘Tribal Panchsheel’ propagated by J.L. Nehru should be followed for empowerment of tribals.
Xaxa Committee recommendation to be implemented for better results.
Conclusion
The development programmes should ensure the participation and consultation of tribal communities in decision-making processes and promoting their inclusion and empowerment in mainstream society.
मॉडल उत्तर:
2011 की जनगणना के अनुसार, जनजातीय लोग भारत की आबादी का 8.6% हिस्सा हैं, लेकिन इसकी कुल गरीबी का 46% हिस्सा हैं। जनजातीय जनसंख्या देश के कोने-कोने में फैली हुई है, जिनमें निम्नलिखित आवश्यक विशेषताएं हैं:
जनजातियों के उत्थान में बाधाएँ:
प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण का नुकसान: जैसे-जैसे भारत का औद्योगीकरण हुआ और जनजातीय निवास क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों की खोज हुई, जनजातीय अधिकारों को कम कर दिया गया और प्राकृतिक संसाधनों पर जनजातीय नियंत्रण की जगह राज्य का नियंत्रण हो गया।
शिक्षा का अभाव: जनजातीय क्षेत्रों में, अधिकांश स्कूलों में न्यूनतम शिक्षण सामग्री और यहां तक कि न्यूनतम स्वच्छता प्रावधानों सहित बुनियादी ढांचे का अभाव है।
अधिकांश जनजातीय शिक्षा कार्यक्रम आधिकारिक/क्षेत्रीय भाषाओं में डिज़ाइन किए गए हैं, जो जनजातीय छात्रों के लिए विदेशी हैं।
विस्थापन और पुनर्वास: विशाल इस्पात संयंत्रों, बिजली परियोजनाओं और बड़े बांधों जैसे मुख्य क्षेत्रों की विकास प्रक्रिया के लिए सरकार द्वारा जनजातीय भूमि के अधिग्रहण से जनजातीय आबादी का बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ।
छोटानागपुर क्षेत्र, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के जनजातीय इलाकों को सबसे अधिक नुकसान हुआ।
शहरी प्रवासन: इन जनजातियों का शहरी क्षेत्रों में प्रवास उनके लिए मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण बनता है, क्योंकि वे शहरी जीवन शैली और मूल्यों के साथ अच्छी तरह से तालमेल नहीं बिठा पाते हैं।
स्वास्थ्य और पोषण की समस्याएँ: आर्थिक पिछड़ेपन और असुरक्षित आजीविका के कारण आदिवासियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे मलेरिया, हैजा, दस्त और पीलिया जैसी बीमारियों का प्रसार।
कुपोषण से जुड़ी समस्याएं जैसे आयरन की कमी और एनीमिया, उच्च शिशु मृत्यु दर आदि भी व्याप्त हैं।
लैंसेट 2016 के अनुसार, एसटी आबादी के लिए जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 63.9 वर्ष है जबकि सामान्य आबादी के लिए 67 वर्ष है।
लिंग संबंधी मुद्दे: प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण, विशेष रूप से जंगलों के विनाश और तेजी से घटते संसाधन आधार के कारण, महिलाओं की स्थिति पर इसका प्रभाव पड़ता है।
पहचान का क्षरण: आदिवासियों की पारंपरिक संस्थाएं और कानून आधुनिक संस्थाओं के साथ टकराव में आ रहे हैं जिससे आदिवासियों के बीच अपनी पहचान बनाए रखने को लेकर आशंकाएं पैदा हो रही हैं।
बोलियों और भाषाओं की विलुप्ति: जनजातीय बोलियों और भाषाओं का विलुप्त होना, चिंता का एक अन्य कारण है क्योंकि यह जनजातीय पहचान के क्षरण का संकेत देता है।
सांस्कृतिक धरोहर का विनाश: विकास परियोजनाएं और अनुचित बाहरी हस्तक्षेप से जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का विनाश भी हो सकता है
जनजातीय मुद्दों के समाधान के लिए कदम:
विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) का विकास
इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनजातियों को पारंपरिक घरों का निर्माण, दुधारू जानवर, मछली पकड़ने के जाल, दोपहिया वाहन, पेयजल सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
जनजातीय उप-योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता
इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले जनजातीय समूहों को डेयरी गायें उपलब्ध करायी जाती हैं।
स्कूल और छात्रावास
जनजातीय छात्रों के लिए सरकारी जनजातीय आवासीय विद्यालय दिये गये हैं।
जनजातीय छात्रों के लिए एकलव्य मॉडल विद्यालय आदिवासियों के बीच मानव संसाधन की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करेंगे।
वन अधिकार अधिनियम (FRA) एवं पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (FESA) का उद्देश्य जनजातीय समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
FRA और PESA अधिनियम जनजातीय लोगों को कानूनी मान्यता प्रदान करते हैं और उनके भूमि अधिकारों को सुरक्षित करते हैं।
PESA अधिनियम जनजातीय समुदायों को अपने मामलों को स्वयं संचालित करने और स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने का अधिकार देता है।
संवैधानिक प्रावधान - अनुसूची V और VI को कवर करना, मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद, डीपीएसपी के अंतर्गत अनुच्छेद 46 , अनुच्छेद 244 (1) और (2), अनुच्छेद 330 और 332, अनुच्छेद 338(A) अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीएसटी)।
ट्राइफेड ने आदिवासियों के लिए ई-मार्केटप्लेस का नेतृत्व किया जो जनजातीय उपज के लिए बेहतर कीमत प्रदान करेगा और आर्थिक सशक्तिकरण में मदद करेगा।
आगे का रास्ता:
अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र को आदिवासियों के लिए बनाई गई नीतियों की भावना का मार्गदर्शन करना चाहिए।
आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रचारित 'जनजातीय पंचशील' के विचार का पालन किया जाना चाहिए।
बेहतर नतीजों के लिए शाशा समिति की सिफारिश लागू किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
विकास कार्यक्रमों को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में जनजातीय समुदायों की भागीदारी और परामर्श सुनिश्चित करना चाहिए और मुख्यधारा के समाज में उनके समावेश और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना चाहिए।
Note:
1. Rename PDF file with your NAME and DATE, then upload it on the website to avoid any technical issues.
2. Kindly upload only a scanned PDF copy of your answer. Simple photographs of the answer will not be evaluated!
3. Write your NAME at the top of the answer sheet. Answer sheets without NAME will not be evaluated, in any case.
Submit your answer