Question: Terrorism poses a challenge to national security. Discuss measures that need to be taken in order to tackle this menace.
(GS3, 10 Marks, 150 words)
प्रश्न: आतंकवाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती बना हुआ है। इस खतरे से निपटने के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक उपायों पर चर्चा करें।
(जीएस3, 10 अंक, 150 शब्द)
Model Answer:
Terrorism poses a grave challenge to national security by leading to loss of lives, creating panic among people; affecting tourism industry; decline in foreign investment; damaged economy (as terrorist attacks lead to a loss of property and businesses); and imperil security of the nation .
Dealing with the menace of terrorism would require a comprehensive strategy wherein various stakeholders – the Government, political parties, security agencies, civil society and media – would have an important role to play.
The necessary elements of such a strategy are:
Consensus at political level: A national consensus on the need for the broad contours of a planned strategy for internal security is needed, which ensures proper integration and smooth information sharing between various security and intelligence agencies.
Good governance and socio-economic development: This would necessitate high priority being given to development work and its actual implementation on the ground for which a clean, corruption-free and accountable administration at all levels, to prevent disaffection of population being turned to radicalism/ terrorism.
Capacity building: The capacity building exercise should extend to the intelligence gathering machinery, security agencies, civil administration and the society at large. The strategy should encompass preventive, mitigation, relief and rehabilitative measures.
Countering the Financing: Terrorist activities in most cases require substantial financial support. The main planks of a strategy would involve reporting of suspicious financial activity by individuals and institutions; Anti-money laundering measures; Capacity building and coordination mechanisms between financial agencies involved.
Global Support: India also needs to bring around a strong global consensus against terrorism to cut down support and supply network of terrorist. India has been pushing for Convention on Countering International Terrorism (CCIT), consensus for arriving at proper definition of terrorism, steps to curb terror funding, efforts at listing Jaish –e-Mohammad, Masood Azhar in UNSC global terrorist list, UN Global Counter-Terrorism Strategy as a common platform for action etc.
Counter-terrorism response: The success of counter-terrorism operations depend to a considerable extent on a speedy response by the right force that is trained, armed and equipped suitably for the job at hand.
Community Involvement: Terrorism is violence aimed at the people watching. Combating terrorism means not only trying to prevent terrorist attacks, but also reducing the terror these create. That can be achieved by actively involving the public and winning their confidence back with regards to safety.
As the National Security Guard is India’s primary strike force for counter-terrorist operations, it must be given the wherewithal to respond swiftly to terror attacks to minimise casualties and deny the perpetrators the ability to consolidate.
The Laws to Deal with Terrorism: The Law Commission in its 173rd Report (2000) examined this issue and highlighted the need for a law to deal firmly and effectively with terrorists.
Conclusion:
In order to tackle the menace a multi-pronged approach is needed. In this context, socio-economic development is a priority so that vulnerable sections of society do not fall prey to the propaganda of terrorists; and the administration needs to be responsive to the legitimate and long standing grievances of people so that these are redressed promptly and cannot be exploited by terrorist groups.
India needs to adopt a Trident Strategy is composed of a strong political will, proactive action and information machinery to fight successfully against terrorism.
मॉडल उत्तर:
आतंकवाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है, जिससे लोगों की जान चली जाती है, लोगों में दहशत पैदा होती है, पर्यटन उद्योग प्रभावित होता है, विदेशी निवेश में गिरावट आती है, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है (क्योंकि आतंकवादी हमलों से संपत्ति और व्यवसायों का नुकसान होता है) और राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता होगी जिसमें विभिन्न हितधारकों - सरकार, राजनीतिक दलों, सुरक्षा एजेंसियों, नागरिक समाज और मीडिया - को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
ऐसी रणनीति के आवश्यक तत्व हैं:
राजनीतिक स्तर पर आम सहमति: आंतरिक सुरक्षा के लिए एक नियोजित रणनीति की व्यापक रूपरेखा की आवश्यकता पर एक राष्ट्रीय सहमति की आवश्यकता है, जो विभिन्न सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बीच उचित एकीकरण और सुचारू सूचना साझाकरण सुनिश्चित करती है।
सुशासन और सामाजिक-आर्थिक विकास: इसके लिए विकास कार्यों और जमीन पर इसके वास्तविक कार्यान्वयन को उच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता होगी, जिसके लिए सभी स्तरों पर एक स्वच्छ, भ्रष्टाचार मुक्त और जवाबदेह प्रशासन होगा, जिससे जनसंख्या के असंतोष को कट्टरवाद/ आतंकवाद की ओर बढ़ने से रोका जा सके।
क्षमता निर्माण: क्षमता निर्माण अभ्यास का विस्तार खुफिया जानकारी एकत्र करने वाली मशीनरी, सुरक्षा एजेंसियों, नागरिक प्रशासन और व्यापक रूप से समाज तक होना चाहिए। रणनीति में निवारक, शमन, राहत और पुनर्वास उपायों को शामिल किया जाना चाहिए।
आतंकी वित्तपोषण का मुकाबला करना: अधिकांश मामलों में आतंकवादी गतिविधियों के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है। रणनीति के मुख्य मुद्दों में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों की रिपोर्टिंग, मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी उपाय, क्षमता निर्माण और शामिल वित्तीय एजेंसियों के बीच समन्वय तंत्र शामिल होंगे।
वैश्विक समर्थन: भारत को आतंकवादियों के समर्थन और आपूर्ति नेटवर्क को कम करने के लिए आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत वैश्विक सहमति लाने की भी आवश्यकता है। भारत अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने पर कन्वेंशन (CCIT), आतंकवाद की उचित परिभाषा पर पहुंचने के लिए आम सहमति, आतंकी फंडिंग पर अंकुश लगाने के लिए कदम, जैश-ए-मोहम्मद, मसूद अज़हर को यूएनएससी की वैश्विक आतंकवादी सूची में सूचीबद्ध करने, संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति को कार्रवाई के लिए एक साझा मंच के रूप में सूचीबद्ध करने के प्रयास आदि पर जोर दे रहा है।
आतंकवाद-रोधी प्रतिक्रिया: आतंकवाद-रोधी अभियानों की सफलता काफी हद तक सही बल द्वारा त्वरित प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है जो प्रशिक्षित, सशस्त्र और हाथ में काम के लिए उपयुक्त रूप से सुसज्जित है।
चूंकि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए भारत का प्राथमिक स्ट्राइक बल है, इसलिए इसे हताहतों की संख्या को कम करने और अपराधियों को एकजुट होने की क्षमता से वंचित करने के लिए आतंकवादी हमलों का तेजी से जवाब देने के लिए साधन दिए जाने चाहिए।
समुदाय की भागीदारी: आतंकवाद हिंसात्मक कार्य है, जिसका उद्देश्य देखने वाले लोगों को निशाना बनाना है। आतंकवाद से मुकाबला करने का मतलब, न केवल आतंकवादी हमलों को रोकने की कोशिश करना है, बल्कि इनसे पैदा होने वाले आतंक को कम करना भी है। जिसे जनता को सक्रिय रूप से शामिल करके और सुरक्षा के संबंध में उनका विश्वास दोबारा जीतकर, इसे हासिल किया जा सकता है।
आतंकवाद से निपटने के लिए कानून: विधि आयोग ने अपनी 173वीं रिपोर्ट (2000) में इस मुद्दे की जांच की और आतंकवादियों से दृढ़तापूर्वक और प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक कानून की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
निष्कर्ष:
इस खतरे से निपटने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, सामाजिक-आर्थिक विकास एक प्राथमिकता है, जिससे समाज के कमजोर वर्ग आतंकवादियों के दुष्प्रचार का शिकार न बनें और प्रशासन को लोगों की वैध और लंबे समय से चली आ रही शिकायतों के प्रति उत्तरदायी होने की आवश्यकता है, जिससे इनका तुरंत निवारण किया जा सके और आतंकवादी समूहों द्वारा इसका शोषण न किया जा सके।
भारत को आतंकवाद के खिलाफ सफलतापूर्वक लड़ने के लिए एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, सक्रिय कार्रवाई और सूचना तंत्र से बनी ‘ट्राइडेंट रणनीति’ अपनाने की आवश्यकता है।
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